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शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

कुछ न कुछ करते रहिये

कुछ न करने से कुछ करना हमेशा अच्छा होता है. अगर शरीर से आदमी सहायक न हो तो कम से कम नैतिक समर्थन तो कर ही सकता है. वैसे अपने अधिकारों के लिए आदमी को आगे आना ही चाहिए और हाँ, अधिकार कर्तव्य दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं. 

सोमवार, 28 अगस्त 2023

ब्लॉग लेखन

किसी जमाने में ब्लॉग लेखन एक बहुत अच्छा कार्य माना जाता था, और बड़े धीर गंभीर लोगों ने हर विधा पर लिखा. धीरे धीरे फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप  के अवतरण के बाद ब्लॉग पर लेखन कम से कम हिन्दी में तो कम होता गया. यूट्यूब, इन्स्टाग्राम और रील्स के दौर में कुछ लोग अभी भी ब्लॉग लिख रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य ये कि प्रख्यात लेखकों के लिये भी फेसबुक का सहारा लेना पड़ रहा है. 

रविवार, 20 अगस्त 2023

क्या लिखूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा.

मन की व्यथा लिखूँ या कुछ और. हर तरफ वही बेकरारी, बेकसी है. जिससे भी बात कीजिये वही दुखी है. किसी न किसी बात को लेकर. सुख आखिर कहाँ है और किस में है सुख? सुख की परिभाषा क्या है? शायद दुःख की अनुपस्थिति को ही सुख माना जा सकता है. या फिर किसी मन पसंद चीज या चीजों की प्रचुरता को. 

गुरुवार, 8 मार्च 2012

जूता चल गया


ब्रदर जूता राखिये, बड़े काम की चीज
कई बार सिखलाये ये, कुछ को बड़ी तमीज
कुछ को बड़ी तमीज, नया ये अस्त्र बन गया
बम-गोली से अधिक, सिद्ध ये शस्त्र बन गया
कह दानव कविराय, होये देसी या विदेसी
तबीयत करे दुरुस्त, बात कुछ इसमें ऐसी

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

अर्धार्धान्गिनी शब्द - और एक कविता के अंश पर टिप्पणी...

पंक्तियां आपकी पढ़कर उत्सुकता  बढती जाती है
इतनी देरी से रचना क्यों फेसबुक पर लिखी जाती है,
मैं आशावान बहुत हूँ विश्वास बनाये रखता हूँ,
जल्दी होगी ये कृति पूरी ये आस लगाये रखता हूँ,
इस रचना को पढ़ने हेतु  मैं आउट-लॉग  नहीं होता,
हो कितना भी कुहरा नभ पर मन मेरे फॉग नहीं होता,
ये करता हूँ विनती प्रभु से हर कोई बने  भाग्यशाली,
हर एक बने जीजा जग में हर कोई पाए इक साली.. 
चाहे तो मिले सगी कोई या फिर रिश्ते में  दूर सही,
रिश्ते तो बहुत बने जग में लेकिन ऐसा कोई भी नहीं,
मैं चीज कौन क्या हूँ मैं, क्या गिनती मेरी यहाँ खास,
साली पर कविता उत्तम लिख चुके पंडित गोपाल व्यास,
साली पर रचना की बारी अब आई मुक्त कवि के पास,
सालों तुम थोड़ा धीर धरो सालों तुम न होवो उदास,
गर साली खास रही जुग से तो खासम-खास रहे साले,
साली पर लिखी गयी कविता मुक्तक सालों पर रच डाले...

श्री मुकेश गुप्ता जी ने अभी अपनी कविता का एक अंश पोस्ट किया और मुझे अर्धार्धान्गिनी शब्द इतना अच्छा लगा कि उसी सिलसिले में कमेन्ट यूँ नुमायां हुआ, जिसे मैं अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट कर रहा हूँ...