कुछ न करने से कुछ करना हमेशा अच्छा होता है. अगर शरीर से आदमी सहायक न हो तो कम से कम नैतिक समर्थन तो कर ही सकता है. वैसे अपने अधिकारों के लिए आदमी को आगे आना ही चाहिए और हाँ, अधिकार कर्तव्य दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं.