पंक्तियां आपकी पढ़कर उत्सुकता बढती जाती है
इतनी देरी से रचना क्यों फेसबुक पर लिखी जाती है,
मैं आशावान बहुत हूँ विश्वास बनाये रखता हूँ,
जल्दी होगी ये कृति पूरी ये आस लगाये रखता हूँ,
इस रचना को पढ़ने हेतु मैं आउट-लॉग नहीं होता,
हो कितना भी कुहरा नभ पर मन मेरे फॉग नहीं होता,
ये करता हूँ विनती प्रभु से हर कोई बने भाग्यशाली,
हर एक बने जीजा जग में हर कोई पाए इक साली..
चाहे तो मिले सगी कोई या फिर रिश्ते में दूर सही,
रिश्ते तो बहुत बने जग में लेकिन ऐसा कोई भी नहीं,
मैं चीज कौन क्या हूँ मैं, क्या गिनती मेरी यहाँ खास,
साली पर कविता उत्तम लिख चुके पंडित गोपाल व्यास,
साली पर रचना की बारी अब आई मुक्त कवि के पास,
सालों तुम थोड़ा धीर धरो सालों तुम न होवो उदास,
गर साली खास रही जुग से तो खासम-खास रहे साले,
साली पर लिखी गयी कविता मुक्तक सालों पर रच डाले...
श्री मुकेश गुप्ता जी ने अभी अपनी कविता का एक अंश पोस्ट किया और मुझे अर्धार्धान्गिनी शब्द इतना अच्छा लगा कि उसी सिलसिले में कमेन्ट यूँ नुमायां हुआ, जिसे मैं अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट कर रहा हूँ...